स्वामी विवेकानंद बचपन से ही बहुत ही निडर स्वभाव के व्यक्ति थे I वे हमेशा अपने अन्य मित्रों को भी भय मुक्त रहने के लिए प्रेरित करते थे I जब वह 8 साल के थे I तभी से वे अपने एक मित्र के यहां खेलने जाया करते थे, उनके मित्र का नाम नारायण था I उनका अपने मित्र के साथ काफी लगाव था I नारायण के घर में बरगद का एक पेड़ लगा हुआ था I
स्वामी जी का उस पेड़ के साथ काफी लगाव था और वह दोनों उस पेड़ के साथ अक्सर खेला करते थे I रोज की तरह है आज भी नरेंद्र (स्वामी विवेकानंद के बचपन का नाम) अपने मित्र के साथ उसी पेड़ पर चढ़कर खेल रहे थे I अचानक नारायण के दादाजी वहां पहुंचे I
उन्हें डर था कि कहीं स्वामी जी उस पेड़ पर चढ़ते हुए गिर न जाए या कहीं पेड़ की डाली ही ना टूट जाए I इसलिए उन्होंने स्वामी जी को समझाते हुए कहा कि नरेंद्र तुम आज के बाद इस पेड़ पर मत चढ़ना I दादाजी की यह बात सुनकर स्वामी जी ने दादा जी से पूछा क्यों ?
तब दादा जी ने कहा कि इस पेड़ पर एक भूत रहता है I वह रात में सफेद कपड़े पहन कर इधर-उधर घूमता रहता है और देखने में बड़ा ही भयानक है I यह सुनकर स्वामी जी को थोड़ा आश्चर्य हुआ I परंतु उन्होनें दादाजी से उस भूत के बारे में और अधिक बताने का अनुरोध किया I
दादा जी बोले इस पेड़ पर रहने वाला भूत बहुत ही खतरनाक है और वह पेड़ पर चढ़ने वाले लोगों की गर्दन तोड़ देता है I स्वामी जी यह सब बात ध्यान से सुन रहे थे और वह बिना कुछ कहे चुपचाप खड़े थे I यह देख दादाजी को लगा कि बच्चा डर गया है और वह मुस्कुराते हुए अपने काम से बाहर निकल गए I
परंतु जैसे ही दादाजी बाहर निकले स्वामी जी पुनः उस पेड़ पर चढ़कर खेलने लगे I यह देख उनका मित्र नारायण ने जोर से कहा कि अरे तुमने दादाजी की बात नहीं मानी जल्दी से इस पेड़ पर से उतर जाओ I अन्यथा इस पर रहने वाला भूत तुम्हारी गर्दन तोड़ देगा I
अपने मित्र की बात सुनकर स्वामी जी जोड़-जोड़ से हंसने लगे और कहा कि मित्र डरो मत ! तुम भी इन सब बातों पर विश्वास करते हो I स्वयं ही विचार करो कि यदि दादाजी की बात सच होती तो मेरी गर्दन कब की टूट चुकी होती और मैं तुम्हारे सामने इस तरह खरा नहीं रह पाता I इसलिए किसी के कही हुई बातों पर विश्वास करने से पूर्व उस पर अवश्य विचार करना चाहिए I
इस कहानी से सीख :- इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि किसी भी व्यक्ति की बातों पर विश्वास करने से पूर्व हमें उस पर अवश्य मंथन कर लेना चाहिए
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