मंगलवार, 29 अक्तूबर 2024

भूतिया बरगद का पेड़ I Ghost Story of Banyan Tree

स्वामी विवेकानंद बचपन से ही बहुत ही निडर स्वभाव के व्यक्ति थे I वे हमेशा अपने अन्य मित्रों को भी भय मुक्त रहने के लिए प्रेरित करते थे I जब वह 8 साल के थे I तभी से वे अपने एक मित्र के यहां खेलने जाया करते थे, उनके मित्र का नाम नारायण था I उनका अपने मित्र के साथ काफी लगाव था I नारायण के घर में बरगद का एक पेड़ लगा हुआ था I



स्वामी जी का उस पेड़ के साथ काफी लगाव था और वह दोनों उस पेड़ के साथ अक्सर खेला करते थे I रोज की तरह है आज भी नरेंद्र (स्वामी विवेकानंद के बचपन का नाम) अपने मित्र के साथ उसी पेड़ पर चढ़कर खेल रहे थे I अचानक नारायण के दादाजी वहां पहुंचे I 


उन्हें डर था कि कहीं स्वामी जी उस पेड़ पर चढ़ते हुए गिर न जाए या कहीं पेड़ की डाली ही ना टूट जाए I इसलिए उन्होंने स्वामी जी को समझाते हुए कहा कि नरेंद्र तुम आज के बाद इस पेड़ पर मत चढ़ना I दादाजी की यह बात सुनकर स्वामी जी ने दादा जी से पूछा क्यों ?


तब दादा जी ने कहा कि इस पेड़ पर एक भूत रहता है I वह रात में सफेद कपड़े पहन कर इधर-उधर घूमता रहता है और देखने में बड़ा ही भयानक है I यह सुनकर स्वामी जी को थोड़ा आश्चर्य हुआ I परंतु उन्होनें दादाजी से उस भूत के बारे में और अधिक बताने का अनुरोध किया I 


दादा जी बोले इस पेड़ पर रहने वाला भूत बहुत ही खतरनाक है और वह पेड़ पर चढ़ने वाले लोगों की गर्दन तोड़ देता है I स्वामी जी यह सब बात ध्यान से सुन रहे थे और वह बिना कुछ कहे चुपचाप खड़े थे I यह देख दादाजी को लगा कि बच्चा डर गया है और वह मुस्कुराते हुए अपने काम से बाहर निकल गए I 


परंतु जैसे ही दादाजी बाहर निकले स्वामी जी पुनः उस पेड़ पर चढ़कर खेलने लगे I यह देख उनका मित्र नारायण ने जोर से कहा कि अरे तुमने दादाजी की बात नहीं मानी जल्दी से इस पेड़ पर से उतर जाओ I अन्यथा इस पर रहने वाला भूत तुम्हारी गर्दन तोड़ देगा I


अपने मित्र की बात सुनकर स्वामी जी जोड़-जोड़ से हंसने लगे और कहा कि मित्र डरो मत ! तुम भी इन सब बातों पर विश्वास करते हो I स्वयं ही विचार करो कि यदि दादाजी की बात सच होती तो मेरी गर्दन कब की टूट चुकी होती और मैं तुम्हारे सामने इस तरह खरा नहीं रह पाता I इसलिए किसी के कही हुई बातों पर विश्वास करने से पूर्व उस पर अवश्य विचार करना चाहिए I 


इस कहानी से सीख :- इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि किसी भी व्यक्ति की बातों पर विश्वास करने से पूर्व हमें उस पर अवश्य मंथन कर लेना चाहिए


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सोमवार, 28 अक्तूबर 2024

लालची राजकुमार की कहानी I Greedy Price Moral Story in Hindi

एक समय की बात है, एक राजा ने एक राजकुमार को अंतरंग शिक्षा देने के लिए नियुक्त किया। इस राजकुमार का नाम था विक्रम। विक्रम एक बहुत ही बुद्धिमान और हार्दिक व्यक्ति था, लेकिन उसमें एक गंभीर कमी थी - वह बहुत लालची था। विक्रम ने हमेशा ही धन की चाह रखी और उसकी उम्मीदें उसके पिताजी के पास हमेशा बढ़ती रहती थी। लेकिन उसने कभी अपनी चाह के लिए किसी अन्य का हक छीनने का सोचा ही नहीं। उसकी लालच इतनी गहरी थी कि वह किसी भी हद तक जा सकती थी।


एक दिन, राजकुमार ने एक गरीब व्यक्ति का घर देखा और उसके पास कुछ सोने के सिक्के देख कर वह उसके पास जाकर उन्हें छीनने की कोशिश की। गरीब व्यक्ति को इस बात का अंदाजा था कि राजकुमार उसे पहचान नहीं सकेगा, इसलिए उसने उसे बाहर भगा दिया।


गरीब व्यक्ति ने इस बात की शिकायत राजा को की और राजा ने विक्रम को सजा सुनाई। राजा ने कहा, "तुम्हें 7 दिनों के लिए अपने राज्य को छोड़ना होगा और सिर्फ एक गाँव में एक गरीब किसान के साथ रहना होगा।"


विक्रम ने राजा की आज्ञा पालन की और उसने गाँव में जाकर उस गरीब किसान के साथ रहना शुरू किया। वहाँ उसने देखा कि गरीब किसान और उसका परिवार कितने खुशहाल थे और उनके पास थोड़ा भी धन नहीं था।


विक्रम ने गरीब किसान के साथ रहकर बहुत कुछ सीखा। उसने समझा कि जीवन में धन की महत्वता है, लेकिन उससे ज्यादा भावनात्मक संबंधों की महत्वता है। वह अब लालची नहीं था और उसने गरीब किसान की मदद करना शुरू किया।


एक दिन, राजा ने विक्रम को फिर से बुलाया और पूछा, "क्या तुमने अपनी गलतियों से सीखा है?" विक्रम ने विनम्रता से कहा, "हाँ, महाराज। मैंने अपनी लालची और अहंकारी आदतों से सीखा है और अब मैं इस परिवर्तन के साथ वापस आया हूँ।"


राजा ने विक्रम की प्रशंसा की और राज्य के उसी दिन उसे वापस बुलाया। विक्रम ने अपने अनुभाव को सच्चाई के रूप में स्वीकार किया और वह एक नया और समर्पित राजकुमार बन गया।


इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि लालच से दूर रहना बेहद महत्वपूर्ण है। धन महत्वपूर्ण है, लेकिन सच्चे मूल्यों की समझने और उन्हें महत्व देने की क्षमता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। इसी तरह सच्चे में धन के पीछे न भागने के साथ ही सही साझेदारी और मूल्यों की सम्मान के साथ रहना हमें सफलता की राह में मदद कर सकता है।


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रविवार, 27 अक्तूबर 2024

सुंदर पिचाई जीवनी । Biography Sundar Pichai Ceo for Google

गूगल नें 10 अगस्त,2015 को पूरी दुनिया को अचम्भे मैं डाल दिया जब उसने अपने कंपनी का CEO सुंदर पिचाई को घोषित किया। वैसे तो यह भारत के लोगों के लिए बहुत ही गर्व की बात थी कि एक भारतीय व्यक्ति को दुनिया के सबसे बड़ी कंपनी Google के CEO के रूप में चुना गया है। यह बात सुनने मैं तो बहुत आसान लगता है कि सुंदर पिचाई Google जैसी बड़ी कंपनी के CEO हैं पर बहुत कम लोग ही हैं जो जानते हैं इस कमियाबी के पीछे कितनी मेहनत और संगर्ष है।


क्या आपको सुंदर पिचाई की प्रेरणादायक कहानी के बारे में पता है?

क्या आपने सुंदर पिचाई की गूगल प्रोडक्ट मेनेजर से सीईओ बनने की कहानी सुनी है?

अगर नहीं ! तो नीचे उनकी पूरी जीवनी पर कर आप जान सकते हैं। आज के दिन में सुंदर पिचाई को दुनिया भर में जाना जाता है उनके इस तरकी के लिए।

प्रारंभिक जीवन और बचपन Early Life

सुंदर पिचाई का पूरा नाम पिचाई सुंदरराजन (Pichai Sundararajan) है जिनका जन्म 12 जुलाई,1972 को मदुरै, तमिलनाडु (Madurai, Tamil Nadu) में हुआ। उनका जन्म निम्न मध्यम वर्ग के एक परिवार में हुआ था। उनके पिता एक इलेक्ट्रिकल इंजिनियर थे इसलिए वे चेन्नई शहर में अशोक नगर में रहते थे। उनके पिता से वे हमेशा प्रेरित होते थे और इसी लिए उन्हें भी टेक्नोलॉजी से जुड़ने की प्रेरणा मिली। उनकी माँ का नाम लक्ष्मी था। वो एक स्टेनोग्राफर थी। उन्होंने अपना स्टेनोग्राफर का काम सुंदर पिचाई के छोटे भाई के जन्म के बाद छोड़ दिया।

जब सुंदर पिचाई 12 साल के थे तो उनके पिताजी घर में एक लैंड लाइन फोन घर लेकर आये। उनके जीवन में यह पहला टेक्नोलॉजी से जुड़ा चीज था जो सुंदर जो पिचाई के घर में आया था। सुंदर पिचाई में बहुत ही स्पेशल क्वालिटी/असाधारण ज्ञान था। वो आसानी से अपने टेलीफोन में डायल किये गए सभी नुबरों को याद रख लिया करते थे। सिर्फ फ़ोन नंबर ही नहीं उन्हें हर प्रकार के नंबर आसानी से याद रह जाते थे। पढाई के साथ-साथ वे खेल में भी अच्छे थे। वो अपने स्कूल क्रिकेट टीम के कप्तान भी थे।

शिक्षा Study :- सुंदर पिचाई नें अशोक नगर के जवाहर विद्यालय में अपनी 10वीं कि पढाई पूरी की और चेन्नई के वाना वाणी स्कूल में अपनी 12 वीं की परीक्षा पूरी की। उसके बाद उन्होंने Metallurgical Engineering में IIT खरगपूर में ग्रेजुएशन पूरी की।

उसके बाद उन्होंने Stanford University में भौतिक विज्ञान में, MS (Masters in Science) की डिग्री पूरी कर ली और आखिर में वे MBA की पढाई के लिए Wharton School, University of Pennsylvania चले गए।

सुंदर पिचाई का गूगल से जुड़ने से पहले का करियर Google Career

गूगल से जुड़ने से पहले सुंदर पिचाई म्क किन्से एंड कंपनी(McKinsey & Company) में संचालन परामर्श के रूप में काम करते थे।
 उन्होंने एप्लाइड मैटेरियल्स में इंजीनियरिंग और उत्पाद प्रबंधन के रूप में भी अपने प्रतिभा का योगदान दिया।

सुंदर पिचाई का गूगल से जुड़ने के बाद का जीवन

सुंदर पिचाई 2004 में Google से जुड़े। शुरू-शुरू में उन्होंने एक छोटे से टीम के साथ Google Search Tool Bar के ऊपर काम किया। इस Toolbar की मदद से आज के दिन में भी लोग Internet Explorer, Firefox में Google Search कर पा रहे हैं।

उन्होंने Google के उत्पाद जैसे Google Gear और Google Pack पर भी काम किया। Google Toolbar के सफल होने के बाद सुंदर पिचाई के मन में एक नया आईडिया आया वो था खुद का इन्टरनेट ब्राउज़र बनाने का। उस समय के Google के CEO एरिक सचमिद्त(Eric Schmidt) नें खुद के इन्टरनेट ब्राउज़र बनाने की बात को बहुत ही महंगा प्रोजेक्ट करार दिया और मना किया।

लेकिन उनक मना करने के बाद भी पिचाई ने इस बात को ठान लिया और गूगल के सह-निर्माताओं लार्री पेज और सेर्गे ब्रिन को इस बात के लिए राज़ी कर लिया। वर्ष 2008 में Google ने सुंदर पिचाई की मदद से खुद का वेब ब्राउज़र लांच किये जिसका नाम दिया गया Chrome। Google Chrome बहुत ही अच्छी तरीके से सफल हुआ क्योंकि इससे Google Search लोग Diectly इस्तेमाल कर सकते हैं। आज के दिन में गूगल क्रोम दुनिया का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किये जाने वाला वेब ब्राउज़र हैं।

उसी वर्ष 2008 में सुंदर पिचाई का वाईस प्रेसिडेंट ऑफ़ प्रोडक्ट डेवलपमेंट के रूप में प्रमोशन किया गया। इस पोजीशन पर आते ही सुंदर पिचाई और भी मेहनत करने लगे और 2012 में वो Chrome और Apps के सीनियर वाईस प्रेसिडेंट बन गए।

एंड्राइड को बनाने वाले, एंडी रुबिन ने 2013 में किसी दुसरे प्रोजेक्ट के कारण Android के प्रोजेक्ट को छोड़ दिया। इसके बाद लार्री पेज नें पिचाई को एंड्राइड का इन-चार्ज बना दिया। बाद अक्टूबर 2014 में उन्हें प्रोडक्ट चीफ बना दिया गया।

10 अगस्त 20फरवरी 2016 में उन्हें Google कि एक कंपनी Alphabet Inc. के 273,328 शेयर्स डे कर सम्मान दिया गया। वे आज भी समय-समय पर Skype के ज़रिये IIT खरगपुर के Students से बातचीत करते हैं । वर्ष 2015 को सुंदर पिचाई को गूगल के CEO के रूप में घोषित किया गया।

सुंदर पिचाई का निजी जीवन Personal Life

सुंदर पिचाई ने अपने लम्बे समय की गर्लफ्रेंड, अंजलि पिचाई से शादी की है। वो दोनों IIT खरगपूर में साथ में पढाई करते थे। उनके दो सुंदर बच्चे भी हैं एक लड़का और एक लड़की। उन्होंने Brooklyn, New York में $6.8 मिलियन देकर अपने लिए घर खरीदा। वो अब अमेरिका के नागरिक हैं इसीलिए वे अपने परिवार के साथ न्यू यॉर्क में ही रहते हैं।

शनिवार, 26 अक्तूबर 2024

चिड़ियाघर की कहानी। Best Zoo Short Stories for Kids

अमन अपने माता-पिता के साथ चिड़ियाघर जाता है। चूँकि अमन अभी बच्चा है और अपनी माँ की गोद में रहता है, इसलिए उसके लिए चिड़ियाघर का कोई टिकट नहीं है। माँ और पिताजी ने टिकट लिया और तीनों एक साथ चिड़ियाघर गए। अमन ने चिड़ियाघर में एक तालाब देखा जिसमें बहुत सारी बत्तखें और बगुले मस्ती में तैर रहे थे।

Short Story for kids

उसे यह बहुत पसंद आया और फिर उसने वहाँ पे बहुत सारे बंदर को देखा। वह छोटे बंदरों को अपने हाथों से खाना खिलाता है और छोटे बंदर उसके पीछे दौड़ते हैं। वह उसका पिता होगा । तब अमन ने अपने सामने बड़े-बड़े जानवरों को देखा जिसमें से एक रीछ, एक जिराफ, और बहुत से ऊँचे स्वर से चिल्लानेवाले सिंह भी देखे, छोटे बच्चे डर के मारे भाग गए।


तभी अमन ने देखा कि वहां हाथियों का झुंड खड़ा है और उसके छोटे-छोटे बच्चे भी वहीं हैं. वे आपस में खेलते थे और बहुत से बच्चे खड़े होकर यह तमाशा देखते थे। अमन भी खड़ा हो गया और हाथियों के झुंड को देखने लगा। इसके बाद हामान ने देखा कि और भी छोटे-छोटे बच्चे वहाँ आये हैं। वह अपने दोनों पैरों पर चलता था; कोई भी अपने माता-पिता की गोद में नहीं था। 


तब अमन अपने छोटे पैरों पर चलने लगा। इस बात से अमन के माता-पिता बहुत खुश थे, क्योंकि अब उनका बेटा चलना सीख गया था। ट्रेन की सवारी की और अमन ने चिड़ियाघर में ऊंट की सवारी भी की।


शिक्षा: बच्चे अनुकरण के माध्यम से सीखते हैं, बच्चों के दिमाग को विकसित करने के लिए उन्हें दुनिया का आकार दिखाना चाहिए।



शुक्रवार, 25 अक्तूबर 2024

सोने की चिड़िया । Short Stories for Kids in Hindi & English

एक परी जिसका नाम था आद्या, वह सोने की चिड़िया की खोज में निकली। सोने की चिड़िया बहुत ही महान और शक्तिशाली होती है। इसकी खोज न केवल धन और समृद्धि को लाती है, बल्कि इसके पास आपके हर समस्या का समाधान होता है।


परी ने शुरू में सोने की चिड़िया को ढूंढने के लिए बड़ी कठिनाइयों का सामना किया। लेकिन उसकी मेहनत और संकल्प से वह सोने की चिड़िया को खोजकर उसे अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण खजाना मिल गया।

सोने की चिड़िया की प्रतिष्ठा से परी ने न केवल अपने लिए, बल्कि अपनी समुदाय के लिए भी काफी कुछ किया। जहां पहले कुछ लोग परी को मजाक बनाते थे, वहां अब सब उसे अपना हीरा मानते थे।


इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि किसी भी मुश्किल से निराश न होना चाहिए, बल्कि उसे परिवर्तित करने की कोशिश करनी चाहिए। हमारे अंदर ही हमारी शक्ति छुपी होती है, जो हमें हर मुश्किल से निकलने में मदद कर सकती है।


कभी भी नहीं हारना चाहिए, चाहे कितनी भी कठिनाई क्यों न आ जाए। सारे संभावनाओं के विपरीत उन्हें एक नया मौका देने का निश्चय रखना हमेशा हमें सफलता की ओर ले जाता है।**


FAQs:


1. सोने की चिड़िया क्या होती है ?

- सोने की चिड़िया एक परी जैसी चमत्कारिक चिड़िया होती है जिससे समृद्धि और समाधान प्राप्त किया जा सकता है।


2. परी कैसे सोने की चिड़िया की खोज में निकली ?

- परी ने अपने संकल्प और मेहनत से सोने की चिड़िया की खोज की और उसे पाकर अपने जीवन को सफल बनाया।


3. सोने की चिड़िया की प्रतिष्ठा क्यों बढ़ी ?

- सोने की चिड़िया का प्राप्त होना परी के लिए एक महत्वपूर्ण संघर्ष का प्रतीक था जिससे उसकी प्रतिष्ठा और सम्मान बढ़ गई।


4. क्या सोने की चिड़िया का सिर्फ धनी व्यक्ति ही ढूंढ सकता है ?

- नहीं, सोने की चिड़िया धन के अलावा भलाई और समृद्धि की भी संभावनाओं का द्वार खोल सकती है।


5. क्या हमेशा मुश्किलों के सामने हर कोई सफल हो सकता है ?

- हां, अगर हमारे संकल्प मजबूत हैं और हम मेहनत करने के लिए तैयार हैं, तो हम हर मुश्किल को सामने करके उसे हरा सकते हैं।


इस पारी कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि मेहनत, संकल्प और विश्वास के साथ हर मुश्किल का सामना किया जा सकता है और हर बुराई को दूर किया जा सकता है। इसलिए, कभी भी हार न मानना और संघर्ष को जारी रखना हमें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सफलता देगा।


शिष्य और पागल हाथी की कहानी | Elephant Story in Hindi

गुरुवार, 24 अक्तूबर 2024

रहस्यमयी जादुई उल्टा गाँव | The Enchanted Inverted Village

प्राचीन काल में, एक रहस्यमय क्षेत्र में, एक गाँव था जिसे लोकप्रिय रूप से उल्टा गाँव कहा जाता था। यह साधारण सा दिखने वाला गांव एक अनोखा और रहस्यमयी रहस्य छुपाए हुए है। जब आप इस गांव में प्रवेश करते हैं तो सब कुछ उल्टा-पुल्टा होता है। लोग उलटे चलते हैं, पेड़ों की जड़ें ऊपर और शाखाएँ नीचे होती हैं  और नदी एवं तालाब से  पानी नीचे से ऊपर की ओर बह रहा है।


एक गाँव में रामू नाम का एक छोटा लड़का रहता था। रामू हमेशा यह जानना चाहता था कि उसके गाँव की इतनी ऐसी हालत क्यों है। उसके दोस्त चिंकू और मुन्नी उसकी मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे। तीनों ने मिलकर गांव का रहस्य पता लगाने का निर्णय लिया।


एक दिन, जब रामू, चिंकू और मुन्नी पुराने गाँव के पुस्तकालय में असामान्य किताबें पढ़ रहे थे, तो उन्हें एक पुरानी पांडुलिपि मिली। इस पांडुलिपि में गांव की हर बात समझी जा सकती है। पांडुलिपि में बताया गया है कि गांव की स्थिति में बदलाव का कारण एक प्राचीन जादू था जो कई सदियों पहले एक जादूगर ने गांव पर डाला था।


डायन ने यह जादू इसलिए किया क्योंकि गांव वालों ने उसका अपमान किया था। पांडुलिपि में कहा गया है कि जादू को तोड़ने के लिए, अपसाइड डाउन हिल पर एक गुफा में छिपे जादुई क्रिस्टल को सही क्रम में व्यवस्थित किया जाना चाहिए। जब बच्चों ने यह सुना तो उन्होंने क्रिस्टल ढूंढने का फैसला किया।


अगली सुबह तीनों दोस्त ओलेटा हिल की ओर चल पड़े। पहाड़ी रास्ता बेहद कठिन और खतरनाक था, लेकिन उनके साहस ने उन्हें आगे बढ़ाया। रास्ते में उन्हें कई बाधाओं का सामना करना पड़ा, जैसे उल्टी सड़कें, उल्टे जानवर और अन्य जादुई कठिनाइयाँ, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।


तीन दोस्तों ने एक-दूसरे का साथ देकर सभी मुश्किलों को पार कर लिया। वे पहाड़ी की चोटी पर पहुँचे जहाँ अंततः एक गुफा थी। गुफा में बहुत सारे क्रिस्टल थे, लेकिन ऐसे क्रिस्टल को चुनना ज़रूरी था जो जादू को तोड़ सके। उन्होंने प्रत्येक क्रिस्टल की सावधानीपूर्वक जांच की और देखा कि एक या दूसरे क्रिस्टल की चमक अलग-अलग होती है।


रामू ने यह क्रिस्टल लिया और जैसे ही उसे पलटा, पूरी गुफा रोशन हो गई। गाँव के ऊपर क्रिस्टल की छवि दिखाई दी और धीरे-धीरे सब कुछ ठीक हो गया। जो उलटा था वह सीधा हो गया। पानी सही दिशा में बह गया, लोग सामान्य रूप से चलने लगे और बाकी सब कुछ सामान्य हो गया।


इस चमत्कार से गाँव वाले आश्चर्यचकित रह गए और राम, चिंकू और मुन्नी को धन्यवाद देने लगे। गांव वालों ने अपनी पुरानी गलती मानी और तीनों बच्चों को हीरो मानकर उनका सम्मान किया.


रामू, चिंकू और मुन्नी ने मिलकर साबित कर दिया कि बुद्धि, धैर्य और साहस से किसी भी जादू को तोड़ा जा सकता है। उनके वीरतापूर्ण कार्यों ने गाँव को उसकी मूल स्थिति में लौटा दिया और सिखाया कि एकता का अर्थ ताकत है।


अब गाँव वापस सामान्य हो गया था और सब कुछ अच्छा और उज्ज्वल दिख रहा था। सभी गाँव वाले हमेशा रामा, चिंकू और मुन्नी की प्रशंसा करते थे और उनकी बहादुरी की कहानियाँ सुनाते थे। गाँव में एक नई शुरुआत हुई और अब खुशी और समृद्धि का माहौल था। तीनों दोस्तों की दोस्ती और साहस ने गांव को एक नई दिशा दी।


तो "जादुई उल्टा गाँव" की कहानी इस महत्वपूर्ण संदेश के साथ समाप्त होती है कि सभी समस्याएं, चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हों, ईमानदारी, धैर्य और साहस से हल की जा सकती हैं।


प्रेरणादायक कहानी : एक सैनिक का प्रशिक्षण

बुधवार, 26 जनवरी 2022

सकारात्मक सोच का परिणाम | Positive thinking Hindi Story

यह घटना दुनिया के महान वैज्ञानिक थॉमस एल्वा एडिसन के जीवन में घटने वाली एक घटना पर आधारित है I इस कहानी का मुख्य उद्देश्य हर परिस्थिति में व्यक्ति को सकारात्मक सोच कैसे बनाए रखें यह सिखाना है I

Positive thinking Hindi Story

दिसम्बर की ठंडी रात थी I न्यूजर्सी शहर में एडिसन की एक बहुत बड़ी फैक्ट्री थी जो बहुत ही अच्छी तरह से कार्य कर रही थी I एडिसन की यह फैक्ट्री पूरी तरह से फायरप्रूफ मानी जाती थी I एक दिन अचानक उनकी फैक्ट्री में आग लग गई I उस दिन एडिसन फैक्ट्री में उपस्थित थे I फैक्ट्री में भयंकर आग लगता देख I एडिसन का 24 वर्षीय पुत्र चार्ल्स हाँफते हुए एडिसन के पास पहुंचा और अपने पिता को बताया कि उनकी फैक्ट्री में भयंकर आग लग चुकी है जिसे रोक पाना संभव नहीं है I


एडिसन तुरंत उस आग वाली जगह पर पहुंचे और उस आग की लपटों को बड़े गौर से देख रहे थे I चार्ल्स ने सोचा कि उसके पिता की जीवन की सारी कमाई आग में जल गई जिसके कारण एडिसन को सदमा लगा है और वह आग की लपटों को बड़े गौर से देख रहे हैं I

एडिसन ने तुरंत कहा चार्ल्स तुम्हारी मम्मी कहां है I उसे तुरंत यहां बुलाओ क्योंकि उसे उसके जीवन में ऐसा नजारा फिर कभी देखने को नहीं मिलेगा I यह सुन चार्ल्स भी दंग रह गया I दूसरे दिन प्रातः काल एडिसन अपने जले हुए फैक्ट्री को देख रहे थे और उन्होंने कहा

“Thanks God, We can start a New
हे ईश्वर ! तुम्हें धन्यवाद, हम नए सिरे से पुनः प्रारंभ कर सकते हैं I”

एडिसन कि यह बात सुन उनके सभी कर्मचारी आश्चर्यचकित थे I एडिसन को बर्बादी में भी सकारात्मकता दिखाई दी I वे इतने आशावादी थे कि उन्होंने पुनः शुरू से कार्य प्रारंभ करने का विश्वास दिखाया I महान व्यक्तियों का दृष्टिकोण हमेशा महान ही होता है उन्हें हर समस्या में भी अवसर नजर आती है I

इस कहानी सकारात्मक सोच का परिणाम | Positive thinking Hindi Story से हमें यही सीख मिलती है कि हमें कभी भी अपने जीवन में निराश नहीं होना चाहिए I विपरीत परिस्थितियों में भी स्वयं को एडिसन की तरह आशावादी बनाये रखना चाहिए I